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बुधवार, 6 अप्रैल 2016

आ.....




छोड़ पुरानी बात सारी, आ फिर से नई शुरुआत करें
मोहब्बत थी जो दरमियाँ, आ उसे पुन: स्थापित करें
 
माना गलती किसी की, आ उस त्रुटि को हम क्षमा करें
जो मार्ग हम भटक गये, आ उसका भी परिशोधन करें

जो था अनुचित, आ उसे उचित राह हम प्रदान करें
विश्वास का जो बुझा दिया, आ उसे पुन: प्रज्वलित करें

छाये हैं खामोशी के बादल जो, आ उन्हें हम दूर करें
चलना हमे प्रेम संग, आ उस एहसास का आभास करें

मुरझा गए थे जो एहसास, आ उन्हें फिर सजीव करें
बाकी रह गए जो अरमान, आ उन्हें हम लक्षित करें

बिछड़ कर पाया जो दर्द, आ उसका हम उपचार करें
बन जाये हम मिसाल, आ ऐसा एक दूजे को प्यार करें

चाह तन मन बसने की, आ वो भाव फिर संगठित करें
प्यार एक दूजे का बनकर, आ हम प्रेम का श्रीगणेश करें 


-    प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

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