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सोमवार, 4 अप्रैल 2016

तेरा नाम




तेरा नाम ही मन को झंकृत करता है
एहसास में ही तन मन झूम उठता है

कहाँ छोडू एहसास, बैचेनी और इंतजार
पल पल याद करता है तुम्हे मेरा प्यार

बंधक हूँ तेरी सांसो का, तेरी महक का
क्या मिलेगा मुझे, उपहार मेरे प्यार का

प्यार में रचा-बसा, रोम-रोम तन मन का
आस है जिंदा, भरोसा मुझे मेरे प्यार का
 
जब जब दूर हुई, तब दिल बहुत तडपा है
लौटने तक ये, आख़िरी सांस सा अटका है

मिलते ही गिला न, कोई शिकवा रहता है
मन प्रफुल्लित, तन सुगन्धित सा लगता है

सिखाई प्रेम की भाषा, उस में ही बात करो
रह जाता जो अनकहा सा, तुम उसे पूरा करो

सुनो, तुम्हारे हाथो में है अब मोहब्बत मेरी 
प्यार को प्यार करो तुम, यही है आरजू मेरी


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ४/४/२०१६

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