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मंगलवार, 22 मार्च 2016

कुछ भी हो सकता है...





दुनिया में मुश्किल से मिलते है दोस्त
वो दोस्त अगर दुश्मन बन जाए तो समझो
कुछ भी हो सकता है

दुनिया के दिए दर्द से निजात दिलाने के लिए
कोई फ़रिश्ता जिन्दगी में खुद आ जाए तो समझो
कुछ भी हो सकता है

पिला रहे है जाम अपने ही मिलकर
वो जाम ही अगर जहर बन जाए तो समझो
कुछ भी हो सकता है

जो सुकून खोया कुछ पाने के लिए
वो सुकून ही अगर कहर बन जाए तो समझो
कुछ भी हो सकता है

इबादत कर रहा किसी शख्स के लिए  
वो इबादत जब गुनाह लगने लगे तो समझो
कुछ भी हो सकता है

चाहना जुर्म नहीं किसी के लिए
वो चाह किसी और की हो जाए तो समझो
कुछ भी हो सकता है  

मन से दुआ मांग रहा खुद के लिए
वो दुआ अगर कबूल हो जाए तो समझो
कुछ भी हो सकता है

लिखता हूँ भावों को शब्द देने के लिए
वो पढ़ कर पसंद, समझ ले कोई तो समझो
कुछ भी हो सकता है


-      प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल  २२/३/२०१६ 

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