सुनो
खुद से अक्सर बात करता हूँ
जिक्र तेरा ही होता है
खुद को भूल जाता हूँ
जब तुम्हे याद करता हूँ
सच कहूं तुम मुझे
अब याद हो गए हो
बात इतनी सी कहने आया हूँ
सुनो
मेरे रोने से
कोई फर्क नही पड़ता
बेदर्द होते वो अक्सर
जिनके चाहने वाले बहुत होते
है
वक्त बदलेगा, ये इश्क न
बदलेगा
तुझे सलाम कर
बात इतनी सी कहने आया हूँ
सुनो
रात में कोई जागे कोई सोये
इश्क वालो को
सुकून की नींद कहाँ होती है
मेरी तन्हाई में साथ
एक तेरा 'प्रतिबिम्ब'
और एक तेरा एहसास
बात इतनी सी कहने आया हूँ
सुनो
तुम अब तुम न रहे
वो प्यार ही क्या
जिसमें जी भर जाए
इश्क न सही तरस तो आता होगा
है मुश्किल मगर
ये इश्क तुझसे ही है
बात इतनी सी कहने आया हूँ
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प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल २०/३/२०१६
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " बंजारा " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंMarmaparshi rachna
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