भावो को लिख चूका
एक आस से नाता
जोड़ा है
जिंदगी कर नाम
उसके
प्यार को खुद से
जोड़ा है
पास या दूर
शायद वक्त का
फैसला है
लेकिन अभी
उदास मन को समझा
बुझा
एक कोने में रख छोड़ा
है
बस इतना कहा है
कि
उनके लौट आने की
गुंजाईश बहुत कम
है
फिर भी
आये अगर लौट कर
प्यार की बारिश
कर देना
रोम रोम तुम उसका
भिगो देना
रह न जाए कोई कसर
बाकी
तब बन जाना मय
तुम साकी
अधर कुछ कहने लगे
तो
अधरों को अपने
मिला देना
प्रेम का बोध अगर
हो जाए
तन मन तब अर्पित
कर देना
चाह का मधुर लेप
लगाकर
प्रेम लहरी तुम
गा लेना
झंकृत हो जब कण कण
देह का
बस प्यार का राग
सुना देना
दिल और रूह की
संधि है
समझौता नही
समर्पण है
प्रेम मेरा तुम
उसे यूं बतला देना
- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ११/३/२०१६
- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ११/३/२०१६
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