[ तथाकथित प्रेम दिवस पर एक भाव ऐसा भी ]
आज के दिन उसने, कुछ कहा होता
मोहब्बत को अपनी, याद किया तो होता
अधूरी बातो को, आज कह दिया होता
मेरा न सही, अपना ही जिक्र किया तो होता
पुरानी बातो का,
लुत्फ़ लिया होता
शब्द भावो का, वो
जाम पिलाया तो होता
बीतो लम्हों को, महसूस किया होता
प्रेम था वो, उसका इजहार किया तो होता
एहसासों को अपने, थोड़ा जगाया होता
गरूर को अपने, कुछ पल भुलाया तो होता
सीने पर रख पत्थर, झूठ ही कहा होता
प्यार है तुमसे, बस थोड़ा जतलाया तो होता
नही वक्त पहले सा
जानता हूँ 'प्रतिबिम्ब'
बस जीने का उसने, कुछ बहाना दिया तो होता.
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प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
१४/२/२०१६
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