शब्द लिख रहे है तुम्हे, तुम दूर कहीं बैठी मुस्करा रही हो
हम नही इन आँखों में, फिर भी दिल में जगह बना रही हो
हमने तो साँसों को अपनाया है , केवल तुम्हारे लिए
ढूंढती है नज़र तुम्हे हर पल, आओ कुछ पलो के लिए
शायद जानती हो , इन धडकनों में बहती गति हो तुम
इश्क लिखा मन में, मेरे मन की सच्ची पहचान हो तुम
मन तो मन की सुन्दरता देखे, कब सूरत से किया प्यार है
पल पल 'प्रतिबिंब' सी उभर आती हो, यही तेरा मेरा सार है
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