मैं अबला हूँ
सदियो से हारती आई हूँ
यही हम कहते आये है।
मुझे हर पल कोसा गया
मेरे अर्थ को निर्थक किया
यही हम कहते आये है।
वेदना ही मेरा अस्तित्व है
हर पल मुझ पर जुल्म हुये
यही हम कहते आये है।
दुर्गा हो या पार्वती
गाते सब मेरी आरती
कहो कौन जीता कौन हारा?
सीता हो या सावित्री
पतिव्रता की है हम निशानी
कहो कौन जीता कौन हारा?
पीटी उषा हो या किरन बेदी
देश का सम्मान हमने है बढाया
कहो कौन जीता कौन हारा?
इंदिरा हो या प्रभा पाटिल
देश पर है राज किया
कहो कौन जीता कौन हारा?
हर युग की शान है नारी
प्रेम त्याग सम्मान का अर्थ हमसे बनता
कहो कौन जीता कौन हारा?
आज हम क्यो रोये रोना
स्वयं तैयार हमे है होना
फिर देखे कौन जीता कौन हारा?
कसूरवार है जो नर नारी
उनको है सीख सिखानी
फिर देखे कौन जीता कौन हारा?
दोष क्यो समाज को दे
अपने अधिकार का हम प्रयोग करे
फिर देखे कौन जीता कौन हारा?
सदियो से सश्क्त है नारी
नर से करे न हम अंतर भारी
फिर देखे कौन जीता कौन हारा?
चले साथ हम नर और नारी
सच्चे मन से निभाये अपनी जिम्मेदारी
फिर देखे कौन जीता कौन हारा?
हर एक को शिक्षा और स्वास्थ्य मिले
भूख और गरीबी का नामो निशान मिटे
फिर देखो केवल हिन्दुस्तान जीतेगा।
(प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल, अबु धाबी, यूएई)
जी बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंशानदार!
कुंवर जी,
सही बात कही है.....अच्छी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंहिंदुस्तान ही जीतेगा। सच ही जीतेगा। दैत्य प्रवृत्ति की हमेशा हार हुई है और हर बार होगी...जय हो
जवाब देंहटाएं@ प्रति भैय्या.. कोई अबला या सबला नहीं होता.. बात बस साथ मिलकर चलने की होनी चाहिए..
जवाब देंहटाएंप्रतिभाई, हमेशा की तरह सटिक और सुंदर रचना |
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