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बुधवार, 3 मार्च 2010

ये हम कैसे उन्हे बताये!!!


ये हम कैसे उन्हें बतायें ?




ख्वाब और हकीकत की ये कहानी

याद और अपने दिल कि जुबानी

प्यार और अपने जज़बात की नादानी

अहसास और शरारत की दीवानगी



कल और आज की रुसवाई

भाव और घावों की गहराई

वफा और बेवफाई की सच्चाई

कसमों - वादो की दुहाई



बिछोह और दूरी का गम

आंखो और होन्ठो की बैचैनी

तन और मन की कशिश

प्रेम और त्याग की परिभाषा

ये हम कैसे उन्हें बतायें ?


-प्रतिबिम्ब बडथ्वाल

3 टिप्‍पणियां:

  1. इस रचना मे जो प्रश्न है उसका उत्तर भी आप ही को खोजना है ।

    जवाब देंहटाएं
  2. इन्हें बताने नहीं, अहसासने की जरुरत है.

    बढ़िया.

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रेम और त्याग की परिभाषा
    ये हम कैसे उन्हें बतायें ?
    ==
    बिन बोले कह दो अपने मन की सारी बातें

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी/प्रतिक्रिया एवम प्रोत्साहन का शुक्रिया

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